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बाल गीत - बोधन राम निषादराज विषय - खेल

 बाल गीत - बोधन राम निषादराज विषय - खेल घानी     मूनी    घूमबो। ये  भुइयाँ  ला  चूमबो।। आवव  मिलके खेलबो। पित्तुल  पथरा  मेलबो।। चक्का  डंडा  हाथ  मा। चलौ चलाबो साथ मा।। फुगड़ी खोखो ला भली। चलौ खेलबो जी गली।। बिल्लस  भौरा  खेल मा। लइका  मन के मेल मा।। ~~~~~~~~~~~~~~~~ रचनाकार:- बोधन राम निषादराज सहसपुर लोहारा,कबीरधाम(छ.ग.)

बाल गीत - बोधन राम निषादराज विषय - नोनी

 बाल गीत - बोधन राम निषादराज विषय - नोनी खुल-खुल-खुल-खुल नोनी हाँसय। फुदुक-फुदुक गिर गजबे नाचय।। छिन  मा  रोवय  छिन मा  गावय। मया  दिखावत  मन ला  भावय।। दाई    के   अँचरा   ला   धर  के। दउड़य   कोंटा  कोंटा   घर  के।। चिखला    माटी   अंग   सनावय। अउ  घुलंड  के  खुशी  मनवाय।। नोनी    सुग्घर     रानी     लागय। दाई   के   दुख   तुरते    भागय।। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ रचनाकार:- बोधन राम निषादराज सहसपुर लोहारा,कबीरधाम(छ.ग.)

बाल गीत - बोधन राम निषादराज विषय - करिया बादर

 बाल गीत - बोधन राम निषादराज विषय - करिया बादर करिया  करिया  बादर  छाथे। बादर  बड़  पानी   बरसाथे।। हवा   गरेरा    सँग  मा  लाथे। बिजुरी नाचत बड़ चमकाथे।। गड़ गड़  बाजा  खूब बजाथे। छानी  परवा  ला  छलकाथे।। ये  हा  सबके  प्यास  बुझाथे। बंजर  भुइयाँ  ला  हरियाथे।। देख   मेचका   गीत   सुनाथे। करिया बादर  घुमरत आथे।। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ रचनाकार:- बोधन राम निषादराज सहसपुर लोहारा,कबीरधाम(छ.ग.)

बाल कविता - पुरुषोत्तम ठेठवार (ठेठ ) केरा

 बाल कविता - पुरुषोत्तम ठेठवार  (ठेठ )  केरा  सुन गुरवारी  जाबो बारी  पाके केरा  घेरा घेरा ।।             अबड मिठाथे              मन ला भाथे               मनभर खाबो                घर ले आबो ।। खाही दाई  खाही भाई  केरा पाका  खाही काका ।। पुरषोत्तम ठेठवार

बाल कविता - कवि मनोज कुमार वर्मा

 बाल कविता - कवि मनोज कुमार वर्मा विषय - पानी झर झर पानी बरसे। लइका के मन हरसे।। सुग्घर महकय माटी। खेलय भॅंवरा बाटी।। गली खोर बोहावय। डोंगा सबो चलावय।। फिंजत खेलय सब झन। बॉंट खुशी हरसय मन।। सुख ला बादर परसे।  लइका के मन हरसे।। झर झर पानी बरसे..... मनोज कुमार वर्मा बरदा लवन बलौदा बाजार

बाल कविता- श्री सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''

 बाल कविता- श्री सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर'' मीठ कलिन्दर चानी नानी नानी नानी, भरे हववॅं मैं पानी। मोला देबे तॅंय हा, बड़े कलिन्दर चानी। लाली लाली गूदा, चान चान के खाहूॅं। करिया करिया बीजा, फुरक फुरक बगराहूॅं। ए ओ ए ओ नानी, मीठ कलिन्दर चानी। कोने घोरे हावय, एमा शक्कर पानी। -सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर'' गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़

बाल कविता-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''

 बाल कविता-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर'' " चम्मच मा मैं खाहूॅं " ए गा ए गा नाना। जाना दुकान जाना। बड़े बड़े दू पाकिट, लाबे साबूदाना। राउत आये हावय। गोरस लाये हावय। ले ले ना ओ नानी। मैं भर देहूॅं पानी। पेक कटोरी लाहूॅं। फूॅंक फूॅंक जुड़वाहूॅं। गुत्तुर गुत्तुर सूप सूप, चप्पच मा मैं खाहूॅं। -सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर'' गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़