दू ठन कविता-चोवाराम वर्मा बादल -----------
दू ठन कविता-चोवाराम वर्मा बादल ----------- 1 पिताजी ------------ दया-मया बड़ करने वाला। मन मा हिम्मत भरने वाला। सब ले बड़का देव पिताजी। सुख के जब्बर नेव पिताजी। अनुशासन वो सदा सिखाथे। डाँट-डपट निक राह चलाथे। कृपा करइया संत पिताजी। दुख पीरा के अंत पिताजी। सुग्घर करथे लालन-पालन। देथे होम अपन जोरे धन। खुद अभाव मा रहै पिताजी। खुशी रहौ सब कहै पिताजी। बखत परे दाई बन जाथे। संगी-साथी ,भाई बन जाथे। पूरा करथे चाह पिताजी। रोज करै परवाह पिताजी। जेला दाई कहिथे स्वामी। सचमुच मा वो अन्तर्यामी। देथे सब ला मान पिताजी। घर-दुवार के शान पिताजी। 2 पीठ चढ़ाथे --------------- घोड़ा जइसे पीठ चढ़ाथे। ड्यूटी ले आके खेलाथे। घात मयारू आय पिताजी। मोला अब्बड़ भाय पिताजी। सेव, जलेबी, बिस्कुट लाथे। मोला अपने हाथ खवाथे। गुपचुप ,चाट खवाय पिताजी। नइतो टुहुँ देखाय पिताजी। बोल-बोल इमला लिखवाथे। गुरुजी कस कविता रटवाथे। कठिन गणित समझाय पिताजी। तभ्भो नइ गुस्साय पिताजी। ड्रेस नवा सिलवाके देथे। पुस्तक, कापी ,पेंसिल लेथे। सइकिल मा बइठाय पिताजी। स्कूल मोला पँहुचाय-पिताजी। चोवा राम 'बादल' हथबंद...